लुधियाना के नवोदित लेखक सिद्धार्थ सिंह ने 2025 Commonwealth Essay Competition में सिल्वर अवॉर्ड जीतकर न सिर्फ अपने शहर का नाम रोशन किया है, बल्कि भारत की युवा लेखन प्रतिभा को भी एक नई पहचान दी है। यह प्रतियोगिता 1883 से चल रही विश्व की सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय लेखन प्रतिस्पर्धा है और इस साल इसमें 50 से अधिक देशों से 53,434 प्रविष्टियाँ दर्ज की गईं। सिद्धार्थ की इस उपलब्धि ने उन्हें कॉमनवेल्थ के बेहतरीन युवा विचारकों और लेखकों की सूची में स्थान दिलाया है। उनके प्रमाणपत्र पर Sir Ben Okri (Booker Prize विजेता), Imtiaz Dharker और Royal Commonwealth Society के चेयर Janet Cooper OBE के हस्ताक्षर हैं, जो इस सफलता की अहमियत को और गहरा करते हैं। इन हस्त्यों की स्वीकृति सिद्धार्थ की लेखन-गुणवत्ता, संवेदनशीलता और गहरे विश्लेषण का सार्वजनिक प्रमाण है。
2025 का विषय Commonwealth Charter के उस मौलिक सिद्धांत पर केंद्रित था कि हर बच्चे को शिक्षा तक समान पहुंच मिलनी चाहिए। सिद्धार्थ ने अपने निबंध में स्पष्ट किया कि बड़े सपनों के साथ जमीन पर मौजूद वास्तविक असमानताएं कैसे साफ दिख पड़ती हैं— खासकर लड़कियों के अवसर घटते हैं और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा हर जगह उपलब्ध नहीं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि समान अवसर सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि हर बच्चे के भविष्य को दिशा देने वाली एक वास्तविकता होनी चाहिए। निबंध में शिक्षा-असमानता को तथ्यपूर्ण ढंग से उजागर कर इसे चुनौती के रूप में प्रस्तुत किया गया, और यही वजह है कि उनका लेखन पाठकों के दिलों तक पहुँचा। अधिक जानकारी के लिए देखें: Commonwealth Essay Competition.
सिद्धार्थ Sacred Heart Convent International School में नौवीं कक्षा का छात्र है। उसके पिता रिशिपाल सिंह Agricultural University में रजिस्ट्रार हैं और माता सु ribbons? सुनिता PCS अधिकारी हैं। परिवार इस उपलब्धि पर गहरी खुशी व्यक्त कर रहा है और गर्व महसूस कर रहा है। वे कहते हैं कि सिद्धार्थ की जिज्ञासा, फोकस और स्वतंत्र सोच ने उसे इस प्रतिष्ठित मंच तक पहुँचाया। उनकी मौलिकता और दृढ़ संकल्प ही इस सफलता की सबसे बड़ी कुंजी रहे, जिसने न केवल उसे बल्कि उसके परिवार और स्कूल को भी प्रेरणा दी है।
यह उपलब्धि स्थानीय विद्यार्थियों और विद्यालय समुदाय के लिए एक प्रेरक कहानी बन चुकी है। सिद्धार्थ की सफलता यह बताती है कि समान शिक्षा के अधिकार में छोटा-सा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर ग्रामीण और अशक्त-उत्पन्न पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए। शिक्षक, अभिभावक और नीति-निर्माताओं के लिए यह एक संदेश है कि जिज्ञासा और संकल्प के साथ अवसरों के समान अवसर कैसे साकार होते हैं। आगे आने वाले समय में यह कहानी और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चमकने के लिए प्रेरित कर सकती है—और देश के भीतर भी शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच के मुद्दों पर बहस को प्रोत्साहित करेगी। अधिक प्रेरणा हेतु देखें: Royal Commonwealth Society.
Related: पंजाब में रातों का पारा 1.6°C गिरा—फरीदकोट सबसे ठंडा