महात्मा हंसराज पुण्यतिथि: जानें उनकी अनसुनी कहानी

लुधियाना के पक्खोवाल रोड स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में शनिवार को आर्य समाज के महत्त्वपूर्ण स्तंभ, दूरदर्शी शिक्षाविद एवं राष्ट्र निर्माता महात्मा हंसराज की पुण्यतिथि आर्य युवा समाज इकाई के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत एक पवित्र हवन से हुई, जिसने सभागार में एक आध्यात्मिक और सम्मानपूर्वक माहौल बना दिया। इस अवसर पर आर्य युवा समाज और विद्यालय परिवार के सदस्यों ने महात्मा हंसराज के जीवन मूल्य—सादगी, निस्वार्थ सेवा, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण—पर गहराई से प्रकाश डाला और राष्ट्र-निर्माण के प्रति छात्रों में प्रेरणा जगाने का उद्देश्य स्पष्ट किया।

स्कूल के संगीत विभाग ने अपनी मधुर और भावपूर्ण प्रस्तुतियों के जरिये सबको मन्त्र-मुग्ध कर दिया। बच्चों की स्वर-कला, वादन और नृत्य की छोटी-बड़ी प्रस्तुति ने कार्यक्रम के वातावरण को और अधिक भावनात्मक बना दिया और छात्रों में देशभक्ति एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण को मजबूत किया। इस भाग ने यह दिखाया कि संगीतमय संवेदना कैसे शिक्षा के दायरे में एक सकारात्मक आत्म-निगरानी और सामाजिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित कर सकती है।

इस अवसर पर आर्य युवा समाज इकाई और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की यूनिट के स्वयंसेवकों ने स्कूल के निकट स्थित सामुदायिक पार्क में एक श्रमदान-स्वच्छता अभियान चलाया। इस सामूहिक कदम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में उत्तरदायित्व की भावना विकसित करना, स्वच्छता के महत्त्व को व्यापक स्तर पर जागरूक करना और महात्मा हंसराज की सेवा भावना के मूल सिद्धांतों को प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से समझाना था। छात्रों ने पार्क की सफाई, गंदगी हटाने और पेड़-पौधों की देखभाल में भाग लेकर समुदाय के प्रति अपने योगदान को साकार किया।

प्रिंसिपल डॉ. सतवंत कौर भुल्लर, जो पंजाब में आर्य युवा समाज की अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं, ने अपने प्रेरक संदेश में महात्मा हंसराज द्वारा स्थापित आदर्शों—सादगी, निस्वार्थ सेवा, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण—पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मूल्य आज भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के आचरण को दिशा देते हैं और समाज-सेवा की भावना को और गहराते हैं। इस पुण्यतिथि कार्यक्रम ने शिक्षा और सेवा के बीच एक मजबूत पुल का काम किया है और समुदाय के प्रति एकजुटता की मिसाल प्रस्तुत की है।

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