श्रीमद् भागवत: गोवर्धन प्रसंग सुन भक्त मंत्रमुग्ध

लुधियाना के न्यू रामनगर क्लब द्वारा ग्यासपुरा, न्यू रामनगर में शनिवार को श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का औपचारिक आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम के ప్రధాన वक्ता थे पंडित अवधेश पाण्डेय, जिन्होंने भक्त समुदाय के समक्ष भगवान कृष्ण की पावन बाल लीलाओं का विस्तृत वर्णन किया। मंच पर उपस्थित श्रद्धालुओं की भीड़ ने भक्ति-भाव के साथ भाग लिया और आयोजकों ने प्रकाश-जलांयमान वातावरण में कथा-श्रद्धा का वातावरण बनाये रखा। यह श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ लुधियाना के धार्मिक यात्रा-क्रम का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव बना, जिसमें शास्त्रीय ज्ञान के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं को भी उजागर किया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा तथा व्यवस्था न्यू रामनगर क्लब की टीम द्वारा सहज और सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत की गई, ताकि हर उम्र के भक्त शांति से कथा-गाथा का आनंद ले सकें और अपनी daily life में भगवान के संदेश को आत्मसात कर सकें।

कथा वाचक ने भगवान कृष्ण की पावन बाल लीलाओं का सजीव चित्रण करते हुए कहा कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान होते हुए भी भक्तों की प्रसन्नता के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो जाते हैं। उन्‍होंने स्पष्ट किया कि कृष्ण सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं और भक्त-प्रेम के मार्ग पर हर परिस्थिति से गुजरते रहते हैं। बाल-लीलों के दौरान कृष्ण ने पूतना, तृणावर्त और अघासुर जैसे दैत्यों का विनाश कर भक्तों को उद्धार का बोध कराया। पंक्तिबद्ध शब्दों में, वाचक ने Vrindavan और गोकुल की जनता को यह संदेश दिया कि प्रकृति ही वास्तविक देवता है और गोवर्धन पर्वत का पूजन आज भी प्रासंगिक है। श्रीमद् भगवত कथा ज्ञान यज्ञ के इस सत्र में भक्तों ने भी गोवर्धन पूजा की महत्ता को पुनर्जीवित किया, और यह बतला दिया कि प्राकृतिक संसार के साथ समरसता धार्मिक आस्था का आधार है। अधिक जानकारी के लिए देखें Bhagavata Purana.

आयोजन के दौरान भक्तों का उत्साह स्पष्ट था क्योंकि वक्ताओं ने गोवर्धन रूप के माध्यम से स्पष्ट किया कि प्रकृति के साथ सम्मान और समर्पण ही धरोहर-परंपरा के अनुसार जीवन जीने की कुंजी है। कथा-योग के साथ 56 भोगों की स्वीकृति जैसी प्रतीकात्मक परंपराओं ने भी यह संदेश दिया कि भक्ति-व्यवहार सरलता और उदारता का मिश्रण है। अंततः भगवान कृष्ण गोवर्धन रूप में प्रकट हुए और भक्तों द्वारा अर्पित 56 भोग को उन्होंने गम्भीरतापूर्ण स्वीकृति देकर कार्यक्रम के समापन को एक उत्साहपूर्ण नोट दिया। Govardhan Puja के महत्त्व के प्रति प्रवचन ने दर्शकों में आत्म-निरीक्षण और समाज-सेवा के भाव को और उभार दिया।

स्थानीय श्रद्धालु समुदाय ने बताया कि such धार्मिक कार्यक्रम स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत बनाते हैं और धार्मिक आस्थाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करते हैं। आयोजक-समिति ने कहा कि भविष्य में भी वे इसी प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा समुदाय की एकजुटता और धार्मिक-आचरण को बढ़ावा देंगे, ताकि लुधियाना के विभिन्न क्षेत्रों के लोग श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ जैसी आध्यात्मिक प्रस्तुतियों का लाभ उठा सकें। अधिक जानकारी और आगे के अपडेट के लिए पाठक इन पद्धतियों को देखते रहें, जिनमें Govardhan Puja और Krishna की बाल लीलाओं से जुड़ी सामग्री भी सम्बद्ध लिंक के रूप में दी गयी है।

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