मोहाली में ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर 7.5 लाख की ठगी, ज्वेलरी गिरवी करवाई

फतेहगढ़ साहिब के सरहिंद क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले युवक गगनदीप सिंह का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया के वीजा के नाम पर एक इमिग्रेशन कंपनी ने उन्हें ठग लिया है। उसने अपनी सभी बचत, सेविंग और घर की सोने की कीमत गिरवी रखकर फर्जी एजेंसी के साथ 7.5 लाख रुपये का भुगतान किया था ताकि Australia के लिए 482 वीजा मिल सके। पुलिस के अनुसार मामले की जांच अब भी चल रही है और पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई है। SHO अमनदीप सिंह कंबोज ने कहा है कि शिकायत की पूरी जाँच कर रिकॉर्ड सत्यापित करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ित का कहना है कि इंग्लैंड की यात्रा को लेकर उसकी योजना पहले से बनी थी और इसी बीच उसने सोशल मीडिया पर एक एग्जीक्यूटिव इमिग्रेशन कंपनी का Advertisement देखा। उन्होंने बताया कि विज्ञापन देखकर उन्होंने कंपनी से संपर्क किया और कंपनी ने वादा किया कि वे Australia के लिए 482 वीजा लगवाने में मदद करेंगे। गगनदीप ने आरोप लगाया कि करीब साढ़े सात लाख रुपये उन्होंने Mohali के Phase-3 क्षेत्र स्थित कंपनी के खाते में जमा कर दिए थे ताकि प्रक्रिया आगे बढ़े, लेकिन एक साल गुजर जाने के बावजूद उन्हें विदेश नहीं भेजा गया और न ही पैसे वापस हुए।

गगनदीप ने यह भी कहा कि वे जब कभी संपर्क करते, компания के अधिकारी या तो दस हजार रुपये दे देने की बात करते या फिर कभी पाँच हजार रुपये लौटाने की। उनके अनुसार विकट वास्तविकता यह है कि ऑस्ट्रेलिया जाने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के पास यात्रा खर्च भी एक बड़ी बाधा बन जाती है, और इस मामले में पेट्रोल-लाइन खर्च समेत अन्य खर्चे भी उठते रहे। साथ ही, उसने अपने घर की सारी जमा पूंजी और सोना गिरवी रखा ताकि स्कीम पूरी हो सके।

5 पॉइंट्स में क्रमवार जानिए पूरी घटना कैसे घटी:

  1. ऑनलाइन एड देकर कंपनी का चक्कर शुरू: गगनदीप ने बताया कि विज्ञापन उन्हें सरहिंद-फतेहगढ़ साहिब से जुड़ी एक कंपनी का लगा। इंग्लैंड जाकर वापस आने की योजना के बीच उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा और इससे फंस गए।
  2. कंपनी ने वीजा का लालच देकर रिश्वत: Mohali के Phase-3 में स्थित एक नामी इमिग्रेशन कंपनी होने का दावा करने वाले ठगीकारी एजेंसी ने 482 वीजा लगवाने का आश्वासन दिया और इसके लिए 7.5 लाख रुपये लेने की बात कही।
  3. एक साल की प्रतीक्षा, न विदेश भिजवाने की पुष्टि और न पैसे वापस: दो अक्टूबर तक एक साल पूरा हो गया, पर ना विदेश भेजना गया और न ही रकम वापस की गई; समय-समय पर 10 हजार या 5 हजार रुपये देने का आश्वासन मिलता रहा, जबकि वास्तविक खर्च बढ़ता रहा।
  4. सब कुछ दांव पर लगाकर बचत व सोना गिरवी रखा गया: गगनदीप ने कहा कि इंग्लैंड में कमाए पैसे भी वहां के लिए दे दिए गए, लेकिन दस्तावेज आदि नहीं मिले; बाद में घर का सोना गिरवी रखना पड़ा; मासिक किश्त 16 हजार रुपए बताई गई।
  5. कंपनी के नाम बदलने की नीति: पीड़ित का कहना है कि अगर कोई विरोध करना चाहे, तो कंपनी नाम बदल लेती है ताकि कारोबार चलता रहे; शून्य सहायता मिलने पर उसने खतरे को समझते हुए पुलिस में शिकायत की।

पुलिस के अनुसार इस मामले में एक शिकायत आई है जिसे वेरिफाई किया जाएगा। अगर जांच में ठगी साबित होती है तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शहर में ऑनलाइन जॉब-वीजा फ्रॉड की यह घटना खतरे की एक चेतावनी है और अब नागरिकों से कहा गया है कि ऐसे इमिग्रेशन प्रॉसेस की सत्यापन के लिए आधिकारिक स्रोतों और साइबर क्राइम पोर्टल के जरिये रिपोर्ट दर्ज करें. आप किसी भी ऑनलाइन रोजगार/वीजा एजेंसी के बारे में संदेह होने पर National Cyber Crime Reporting Portal पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अधिक सुरक्षा टिप्स के लिए देखिए How to spot online job scams लेख.

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