रोडवेज हड़ताल भड़की: संगरूर में आत्मदाह की कोशिश, लुधियाना में झड़पें तेज

पंजाब में रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल आज (28 नवंबर) पुरे प्रदेश में तेज हो गई है, जिससे परिवहन सेवाओं पर असर दिख रहा है और सड़कों पर प्रदर्शन एक नया रूप ले रहा है. सूबे के अनेक जिलों से तनाव और गहन चहल-पहल की खबरें आ रही हैं। संगरूर में एक रोडवेज मुलाजिम ने पेट्रोल डालकर खुद को आग लगाने की कोशिश की, जिसे रोकने के लिए वहाँ के धूरी थाना के SHO झुलस गए. स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था के अनुसार SHO को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना हड़ताल के बीच सत्ता-प्रशासन की निगरानी के लिए एक संकेत मानी जा रही है।

लुधियाना में स्थिति और उग्र हो गई जब एक मुलाजिम बस स्टैंड पर पानी की टंकी पर चढ़ गया. नीचे उतरने के लिए उसे कहा गया तो उसने सरकार के खिलाफ नारे लगाए—“पंजाब सरकार मुर्दाबाद” और “पानी की टंकी से ही दम है” जैसे शब्द बोले. पुलिस ने जबरन उतराने का प्रयास किया, तो मुलाजिमों और पुलिस के बीच हाथापाई तथा तनाव बढ़ गया. इस घटना ने हड़ताल के दौरान सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के खतरों की एक बार फिर से पुष्टि की है, जबकि अधिकारी अब स्थिति को काबू में बनाने के लिए कमर कस रहे हैं।

मानसा के बुढ़लाडा में भी तीन रोडवेज मुलाजिम पेट्रोल की बोतल लेकर पानी की टंकी पर चढ़े हुए हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार ने किलोमीटर स्कीम टेंडर का फैसला नहीं बदला, तो वे आग लगा देंगे. यह चिन्ता इस बात को दर्शाती है कि टेंडर-नीति और निजी करारों के घोषणाओं से कर्मचारियों में असंतोष गहरा है, और उनका स्पष्ट मानना है कि टेंडर प्रक्रिया में देरी और पुनः निर्णय न लेना उनकी वेतन-भत्तों और भविष्य पर असर डाल सकता है।

पटियाला में पुलिस और रोडवेज मुलाजिमों के बीच तीखी झड़पें देखी गईं, और कई कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है. जालंधर में भी प्रदर्शन का असर दिखा, जहां रोडवेज मुलाजिमों ने बस स्टैंड को बंद कर दिया और निजी बसों की एंट्री रोक दी गई. यूनियन नेताओं नछत्तर सिंह और विक्रमजीत सिंह का कहना है कि वे kilomीटर स्कीम वाली बसों के टेंडर को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. पिछले दो महीनों में वे तीसरी बार धरना-प्रदर्शन दे चुके हैं; हर बार सरकार टेंडर की डेट बढ़ाती है परंतु अंततः उसे रद्द नहीं करती. इसके साथ ही यूनियन नेताओं की रिहाई की भी मांग की जा रही है, ताकि आंदोलन की धार कम न पड़े।

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