लुधियाना में 33 खैर चोरी, 8 गिरफ्तार—लकड़ी हिमाचल में बेची गई

घटना का संक्षेप

पंजाब के लुधियाना शहर में वन विभाग ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। मत्तेवाड़ा जंगल से 33 खैर पेड़ चोरी पाए गए थे। यह चोरी फरवरी 2024 की बताई गई है, अब तक प्रगति दिख रही है। अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वन विभाग ने एफआईआर दर्ज कर शिकायत मेहरबान पुलिस स्टेशन में दी है। घटनाक्रम की शुरुआती जांच में चोरी का स्वरूप स्पष्ट हुआ है। फोरेंसिक टीम के नमूने भी उठाए जा सकते हैं ताकि सुराग मिल सके। यह सूचना कई विभागों के बीच समन्वय के बाद सामने आई है।

पहचान और गिरफ्तारी की स्थिति

जाँच अधिकारियों ने पहले चरण में संदिग्धों के नामों की पुष्टि की थी। मोहाली के मुल्लांपुर गरीबदास क्षेत्र के एक निवासी और उसके सात साथियों के नाम सामने आए। घटना फरवरी 2024 में हुई थी, पर पहचान डेढ़ साल बाद की गई। इन नामों के आधार पर विभाग ने आगे की जांच तेज कर दी। हालांकि गिरफ्तारी अभी नहीं हो पाई है। यह भी कहा गया कि पेड़ चोरी में कुलविंदर सिंह का अहम रोल है। विवेचन में उनके रिश्तेदारों और साथियों के बारे में जानकारी मिली है। एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया 2 अक्टूबर को पूरी हुई। मेहरबान पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर परमजीत सिंह इस मामले की जांच कर रहे हैं। वे बताते हैं कि वन अधिनियम धाराओं के साथ IPC धारा 303(2) के तहत केस दर्ज है।

खैर के पेड़ों की कीमत और बिक्री

खैर पेड़ कीमती होते हैं क्योंकि कत्था निकलता है और दवाइयों में उपयोग होता है। इन 33 पेड़ों की कीमत लगभग पांच लाख रुपये बताई गई है। जांच यह भी दिखाती है कि चोरी की लकड़ी हिमाचल प्रदेश में बेची गई थी। कथित तौर पर आरोपी कुलविंदर सिंह के साथ उनके अन्य सहयोगियों के संबंध भी सामने आए हैं। इन बातों से लगता है कि योजना पूर्व-योजना के साथ चली थी। मेहरबान पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी। 2 अक्टूबर को शिकायत कानूनन दर्ज कराई गई। जाँच में आगे की कार्रवाई जारी है, जिसमें गिरफ्तारी संभावित हैं।

कानूनी धाराएं और आगे की कार्रवाई

यह मामला भारतीय वन अधिनियम की धाराओं के साथ IPC धारा 303(2) के तहत दर्ज है। इसके अलावा वन विभाग ने अन्य धारा भी जोड़ी होंगी, ताकि साक्ष्यों का समूचे ढंग से परीक्षण हो सके। अभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, और जांच टीम विस्तृत रिकॉर्ड एकत्र कर रही है। महकमे की टीम ने पेड़ चोरी की इस घटना को गंभीर प्रकृति का अपराध मानकर कार्रवाई की है। इससे जुड़े सभी प्रासंगिक कदम आगे उठाए जाएंगे ताकि दोषियों को सजा मिले। यह मामला पंजाब वन विभाग की सतर्क कार्रवाई और प्रभावी कानूनी प्रक्रिया का एक उदाहरण बनता है। अधिक जानकारी के लिए देखें Indian Forest Act और Punjab Police

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