पंजाब पुलिस दूसरी बार बैकफुट: HC ने गुरप्रीत सेखों रिहा

पंजाब पुलिस और हाईकोर्ट का नया उलटफेर

पंजाब पुलिस को Punjab and Haryana High Court की वजह से एक बार फिर बैकफुट पर आना पड़ा है. तरनतारण से शिअद प्रत्याशी कंचनप्रीत कौर को दबाव के आरोप में गिरफ्तार किया गया. हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें सुबह रिहा कर दिया गया. फिरोजपुर जिले के जिला परिषद चुनाव में गुरप्रीत सिंह सेखों को गिरफ्तार किया गया था. वे बाहर रहने से चुनाव में अवैध गतिविधियाँ कर सकते थे. हाईकोर्ट में मामला पहुंचने पर रिहाई संभव हुई. शिअद इसे विरोधियों के अधिकारों पर हमला बताता है. यह घटनाक्रम चुनावी राजनीति और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है. राजनीतिक गलियारों में यह बहस तेज हो गई है. गृह मंत्रालय ने भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर विचार किया है.

हाईकोर्ट की कड़े शब्द और रिहाई पर दलील

शिअद के वकील अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि हाईकोर्ट ने गुरप्रीत सेखों की रिहाई मानवाधिकार उल्लंघन माना. उन्होंने कहा कि अदालत ने एसडीएम की भूमिका पर कड़ाई से टिप्पणी की. अदालत ने जमानत बॉन्ड के बावजूद हिरासत को सही नहीं ठहराया. कलेर के अनुसार यह बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला था. अदालत की टिप्पणी से प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं. यह मामला राजनीतिक दबाव और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच टकराह बना रहा. अदालत ने कहा कि प्रशासनिक कार्रवाई अनुचित थी. मानक प्रक्रिया के अनुसार हिरासत का नियमबद्ध पालन जरूरी है. वकील ने कहा कि कानून की गरिमा खतरे में नहीं होनी चाहिए. हाईकोर्ट की नजर में अदालत प्रक्रिया से गलतफहमी दूर होनी चाहिए.

शिअद की प्रतिक्रिया और विपक्षी धार

यह घटनाक्रम पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में नया मोड़ दिखाता है. शिअद ने सरकार पर विरोधियों के Fundamental Rights कुचलने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि प्रशासन डर का माहौल बनाकर विपक्षी नेताओं पर दबाव डाल रहा है. वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियाँ चुनाव पर असर डालने के उद्देश्य से की जा रही हैं. विपक्ष की इस दलील पर सत्ता पक्ष ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. राजनीतिक माहौल में यह बहस और तेज हो गई है. शिरोमणि अकाली दल के समर्थक इसे कानून-व्यवस्था बनाम राजनीति की लड़ाई मान रहे हैं. इस क्रम में पार्टी ने न्यायिक प्रक्रियाओं के प्रति भरोसा जताया है. यह बहस अगले चरण के चुनावों में भी गूंजेगी.

मुख्यमंत्री का तंज और भविष्य की राह

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि शिअद अब आपराधिक छवि वाले नेताओं की मदद करता है. उनका तंज था, अब शिरोमणि अकाली दल बदमाश बन गया है. वे कह रहे थे कि कुछ प्रत्याशी पिस्तौल की नोक पर वोट मांग रहे हैं. उन्होंने इस पर किसी का नाम नहीं लिया. कंचनप्रीत के मामले पर अदालत रात को निर्णय दे पाती, यह दर्शाता है कि कानून भी समय के दबाव में है. सरकार ने कहा है कि अनुशासन और कानून के अनुरोधों को प्राथमिकता मिलेगी. हालांकि इस बयान में स्पष्ट नाम नहीं लिए गए. विपक्ष ने इसे चुनावी बयानबाजी करार दिया है. अधिक जानकारी के लिए देखें Reuters India कवरेज: Reuters India. कुल मिलाकर यह पंजाब के चुनावी और न्यायिक फ्रेमवर्क पर बड़ा सवाल है.

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