आनंदपुर न आने पर AAP–BJP आमने-सामने | जाखड़ का कड़ा पलटवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्री गुरु teग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के समागम में आनंदपुर साहिब यात्रा न करने को लेकर पंजाब-राष्ट्रीय राजनीति में कश्मकश तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने सार्वजनिक बयान देकर कहा कि प्रधानमंत्री पंजाब और सिख समुदाय से नफरत करते हैं इसलिए वे आनंदपुर साहिब नहीं पहुंचे. इसके जवाब में पक्ष-विपक्ष की धार तेज होते दिखी और जुझारू प्रतिक्रियाओं की सूची बढ़ती चली गई.

जवाब देते हुए बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता जाखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिख गुरुओं और उनकी परंपरा का सम्मान करते हैं; उन्हें किसी से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है. उनका हवाला था कि मोदी ने गुरुओं की शिक्षाओं को विश्व मंच तक पहुंचाया है और करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलकर इसका पाठ सत्यापित किया है. वहीं जाखड़ ने कहा कि आप (AAP) ने आनंदपुर साहिब में विधानसभा सत्र बुलाने का ड्रामा रचा, जिससे जनता के करोड़ों रुपये बर्बाद हुए. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली के ठेकेदारों की जेबें भरने के लिए यह सारा खेल रचा गया था, ताकि सरकार से पैसे के हिसाब की मांग से ध्यान भटकाया जा सके. इस बयान के साथ उन्होंने कांग्रेस-बसपा जैसी पार्टियों के विरोधाभासी तंज भी किए. आप चाहती थी कि यह मुद्दा राजनीति से ऊपर उठकर श्रद्धा के साथ निपटा जाता, पर विपक्ष के अनुमालों के कारण यह कहानी बदल दी गई, उन्होंने कहा. आप चाहती थी कि लोग इस मौक़े पर सत्ता के खेल देखें, न कि गुरु परंपरा के संदेश पर, पर विचार-विमर्श में यह स्पष्ट हो गया कि राजनीति ने भावनाओं को कितना पीछे धकेल दिया.

इसके बाद लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित कार्यक्रम को भी जाखड़ ने अलग दृष्टिकोण से परखा. उनका कहना था कि गुरु तेग बहादुर जी की 400वीं जयंती हो या 350वें शहीदी वर्ष के मौकों पर मोदी ने गुरुद्वारों और गुरु साहिबान की शिक्षाओं को दुनियाभर में पहुंचाने का प्रयास किया है. “हिंद दी चादर” के सम्मान में लाल किले पर जिस तरह से नमन किया गया, वह इतिहास की पहली परिघटना थी—यह राजनीतिक चश्मे से देखना उचित नहीं है. वहीं, मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों के अनुपस्थित रहने को लेकर उन्होंने इसे नफरत की वजह बताने से इनकार किया और कहा कि अगर श्रद्धा के साथ आयोजन किया गया होता, तो सभी नेता आते. जाखड़ ने स्पष्ट किया कि पार्टी-राजनीति ने इसे बदनाम किया है, और इस कार्यक्रम के पीछे AAP की राजनीति स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आई है.

एसजीपीसी की भूमिका को भी लेकर सवाल उठे, क्योंकि जाखड़ ने कहा कि अगर सरकार गुरुद्वारा साहिब में समागम करवाना चाहती थी तो SGPC के साथ मिलकर करना चाहिए था ताकि दुनियाभर से लोग आकर भागीदारी कर सकें. गुरुद्वारा प्रबंधन के इस मानक ya अधिकार के चलते ही उन्होंने संकेत दिया कि SGPC एक मान्यता प्राप्त संस्था है और गुरुद्वारों के संचालन की जिम्मेदारी उसी की होती है. अंततः जाखड़ ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग की, क्योंकि पंजाब की जनता को यह संदेश मिला कि दिल्ली की राजनीतिक लाइन पर चलते हुए श्रद्धा के अवसरों में भी विभाजनकारी राजनीति हावी रही. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी की ओर से स्पष्ट माफी मांगनी चाहिए ताकि Sikh-मPunjab के प्रति नफरत के आरोपों पर विराम लग सके. आप ने यह भी पूछा कि क्या विपक्ष इस मुद्दे को एकजुट श्रद्धा और समर्पण के बजाय राजनीतिक फायदे के लिए उछाल रहा है? इस बहस ने पंजाब की सियासी धारा को एक बार फिर तेज धार में धकेल दिया है, और आगामी वक्त में इसके परिणाम प्रभावी बताए जा सकते हैं.

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