तरनतारन उपचुनाव हार पर आशु: कार्यकर्ताओं को दोष न दें, जमीन देखें

तरनतारन उपचुनाव के परिणाम सामने आते ही कांग्रेस के हार पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन इस पूरी राजनीति के बीच पूर्व कैबिनेट मंत्री व पूर्व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भारत भूषण आशु ने पार्टी नेताओं और अन्य लोगों को एक साफ संदेश दिया है। आशु ने कहा कि हार के लिए पार्टी वर्कर्स को दोषी ठहराने का रिवाज़ नहीं बनना चाहिए; ground reality की ईमानदार समीक्षा ही आगे की राह तय करेगी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये मीडिया की कवरेज पर भी सवाल उठाए और तथ्यात्मक आकलन की जरूरत पर जोर दिया, ताकि नरेटिव बनाने की बजाय आत्म-समिक्षा हो सके। उनके अनुसार तरनतारन में कांग्रेस की एकजुटता दिखी, जबकि अंदरूनी कलह के शोर को अक्सर प्रमुख मंचों पर उछाला गया।

आशु ने तर्क दिया कि दो उपचुनावों के नतीजे लगभग एक समान रहे, पर नरेटिव भिन्न भेजे जाते हैं. Ludhiana उपचुनाव में कांग्रेस 10 हजार वोट के अंतर से हारी—पर मीडिया ने इसे कांग्रेस की अंदरूनी कलह का नतीजा बताकर पेश किया। इसके उलट तरनतारन में अकाली दल 13 हजार वोट से पीछे रहा, फिर भी उसे “सिल्वर लाइन” कहकर दिखाने की कोशिश की गई। आशु का मानना है कि विपक्ष ने एक ही स्थिति में चुनाव लड़ा, फिर भी कांग्रेस के पक्ष में नकारात्मक धारणाएं गढ़ी जाती हैं। तरनतारन में उन्होंने कहा कि पार्टी ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी, इसलिए परिणाम चाहे जो भी आए, कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराने की बजाय आत्म-चिंतन की जरूरत है।

आशु ने सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए—कहा कि दोनों उपचुनावों में सत्ता पक्ष का पूरा सरकारी तंत्र मैदान में था। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनके कार्यकर्ताओं ने उपचुनाव के दौर में कानून-व्यवस्था के दुरुपयोग, दखलअंदाजी और कैडरों को रोकने की कोशिशों का मुकाबला किया। पूरक तौर पर पुलिस की कठोरता, हिरासतें और हमारे अभियान को बाधित करने की घटनाएं भी देखी गईं; कुछ कार्यकर्ताओं को सिर्फ कांग्रेस के समर्थन के कारण उठाकर पूछताछ किया गया। इसके बावजूद कांग्रेस पूरी तरह डटी रही, जबकि मीडिया ने सरकारी तंत्र पर सवाल नहीं उठाए और यह भी कहा गया कि कांग्रेस विभाजित है। तरनतारन में कांग्रेस एकजुट रही, अकाली दल बिखरा हुआ दिखा, फिर भी उनकी हार को भी परिस्थितियों के अनुसार सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया।

आशु ने अपनी तीन अहम अपीलें भी रखीं जिनसे कांग्रेस को स्पष्ट संदेश मिला: पहली, लुधियाणा उपचुनाव सरकारी मशीनरी के विरुद्ध एक बड़ा संघर्ष था; दूसरी, उन्होंने लिखा कि पुलिस ने हमारे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, बूथों के अंदर अधिकारी बैठे दिखे, दखलअंदाजी, धमकियां और FIR के दबाव campaign पर पड़े; तीसरी, जब नैतिक और कानूनी सीमाओं से अधिक दबाव बना, तो कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने डटकर सरकार के तंत्र का सामना किया और एकजुटता बनाए रखी। इस पूरी घटनाक्रम से आशु ने साफ कहा कि पंजाब की राजनीति में नरेटिव पर vigilance जरूरी है, ताकि पार्टी की छवि के नाम पर किसी तरह का नुकसान न हो। Election Commission of India और BBC News – India elections जैसी विश्वसनीय जगहों से चुनावी प्रक्रिया और मीडिया कवरेज की विस्तृत जानकारी देखी जा सकती है, ताकि विश्वसनीय आकलन संभव हो सके।