पंजाब हाईकोर्ट का कड़ा रुख
बठिंडा जिले के मोड़ कलां गांव में खुलेआम चिट्टा बिकने के मामले ने हाईकोर्ट को सतर्क किया है. चीफ जस्टिस शील नागू के नेतृत्त्व में खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लिया और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया. उन्होंने विस्तृत एक्शन टेकन रिपोर्ट माँगी ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके. यह ब्योरा बताता है कि स्थिति कितनी चिंताजनक है. गांव में दीवार पर लिखा गया चेतावنی वाला संदेश मामले की गंभीरता को उजागर करता है. पुलिस ने चेतावनी लिखावट को बाद में मिटा दिया था, ताकि स्थिति शांत रहे. राज्य के वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया, और अब सरकार को पूरा ब्योरा पेश करने के निर्देश दिए गए. हलफनामा दाखिल होने के साथ अगली सुनवाई में मामले पर नई दिशा तय होगी.
मोड़ कलां गांव की स्थिति
मोड कलां गांव में चिट्टा की चपेट से लोग चिंतित हैं. एक दीवार पर लिखा गया ‘चिट्टा इधर सरेआम बिकता है’ सच को बयान करता है. सूचना मिलते ही पुलिस ने उस लेखन पर कालिख पोत दी. थाने के एसएचओ तरनदीप सिंह ने स्वीकार किया कि नशे की समस्या मौजूद है और पुलिस कार्रवाई कर रही है. महिलाें मंजीत कौर और कृष्णा ने कहा कि कई युवक चिट्टा की लत से मौत के कगार पर हैं. उन्होंने ठोस कार्रवाई की मांग की—चिट्टा सप्लायर्स के साथ पुलिस मिलीभगत کی जांच भी. उन्होंने AAP सरकार से तेज सुनवाई और सुस्पष्ट सबूतों पर आधारित कदम उठाने की मांग की. गाँव के भीतर आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो चले हैं, और ग्रामीणों का संदेश स्पष्ट है कि प्रशासन पर भरोसा कम होता जा रहा है.
महिलाओं की आवाज़ और आरोप
गांव की महिलाएं मंजीत कौर और कृष्णा ने कहा कि चिट्टा खुलेआम बिक रहा है. युवक इसकी लत से मौत के कगार पर हैं और कम उम्र की लड़कियां विधवा हो चुकी हैं. वे कहती हैं कि अब वे परिवार चला रही हैं, पर बच्चों को बचाने के लिए ठोस उपाय चाहिए. उन्होंने कहा कि चिट्टा बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पुलिस मिलीभगत की जांच हो. एेसे में वे AAP सरकार से तेज सुनवाई और ठोस सबूतों पर आधारित कदम उठाने की मांग करती हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस की मिलीभगत से कार्रवाई नहीं होती और गाँव की स्थिति सुधारनी होगी. ग्रामीणों के इस संयुक्त ध्येय से स्पष्ट है कि नीतिगत सुधार जरूरी हैं.
आगे की राह: कार्रवाई और निष्कर्ष
अब अगली सुनवाई में ATR के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी. यह पंजाब के लिए संकेत है कि नशे के प्रकोप पर अदालत भी सख्त निगरानी चाहती है. सरकार को अब दीर्घकालिक योजना बनाकर रोकथाम, उपचार और समाज पुनर्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए. समुदाय की भागीदारी से ही इस लड़ाई के परिणाम मिलेंगे. जागरूकता के साथ प्रभावी उपचार और सख्त कानून-व्यवस्था जरूरी है; देखें विश्व स्वास्थ्य संगठन के तथ्य. यदि आप और जानना चाहते हैं, देखें: Substance use facts – WHO और UNODC India.
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