चंडीगढ़ में ढोल की राजनीति एक बार फिर गर्मजोशी से छा गई है। नगर निगम द्वारा शुरू की गई एक नई रणनीति के तहत सड़कों पर कूड़ा फेंकने वालों के घरों के सामने ढोल बजाने की योजना सामने आई थी, जिसे लेकर स्थानीय राजनीति में हलचल मच गई। इसके तुरंत बाद कांग्रेस नेत्री निगम मेयर के सामने ढोल लेकर पहुंच गईं, और अब आप नेता कुलदीप कुक्की ने गवर्नर के समारोह स्थल पर ढोल बजाकर इस बहस को एक नया मोड़ दे दिया है। इस क्रम में पथराई राजनीति और प्रदर्शन के बीच पुलिस ने भी हस्तक्षेप किया, जिसके चलते कुलदीप कुक्की को हिरासत में लेकर देर शाम तक थाने रहीं।
कुलदीप कुक्की ने अपने इलाके की चार वर्षों से अविराम जमीनी स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि यहां सड़कें न तो बनीं और जिनका निर्माण हुआ भी, वे बार-बार टूट जाते हैं। उनका तर्क है कि नगर निगम द्वारा जनता को शर्मिंदा करने के बजाय अगर सड़क-सफाई और मरम्मत पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए, तो स्थानीय नागरिकों की स्थिति सुधर सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब नगर निगम ऐसे कदम उठाता है ताकि लोगों को शर्मिंदा किया जा सके, तब उन्होंने भी अधिकारियों को शर्मिंदा करने के लिए ढोल गले में डाला है ताकि जवाबदेही की आवाज सुनी जाए। इस क्रम में पुलिस ने उन्हें समारोह स्थल से कुछ दूरी पर रोक दिया और फिर थाने ले जाकर छोड़ दिया।
इस बीच, धनास गांव में अमृत सरोवर के पुनरुद्धार के लिए गवर्नर गुलाब चंद कटारिया ने आधारशिला रखी। अमृत सरोवर 2.0 के तहत यह परिवर्तनकारी पहल प्राकृतिक जल पारिस्थितिकी प्रणालियों के कायाकल्प और सतत शहरी विकास को गति देने के उद्देश्य से है। गवर्नर ने परियोजना के शुभारंभ पर गहरा संतोष व्यक्त किया और कहा कि धनास अमृत सरोवर का पुनरुद्धार केवल एक बुनियादी ढांचा नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, समुदाय की भलाई और शहर की सांस्कृतिक विरासत के प्रति एक नैतिक प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा, “हमारे जल निकाय हमारे पारिस्थितिक संतुलन की जीवन रेखाएं हैं।” इस अवसर पर Amrit 2.0 के अंतर्गत एक उल्लेखनीय पहल की शुरुआत हो चुकी है। देखें: Chandigarh Administration और Amrit Sarovar.
ढोल-राजनीति का वास्तविक स्वरूप यही रहा कि नगर निगम ने कूड़ा फेंकने वालों के घरों के बाहर ढोल बजाने का एक प्रकार का शो-ऑफ शुरू किया था, जिसे व्यापक स्तर पर विरोध मिला। कई विश्लेषकों के अनुसार यह कदम नगर निगम के रवैये और सार्वजनिक-नागरिक सहयोग के बीच पैदा हुई नर्मी को सवालों के घेरे में लाता है। जनता की राय में साफ-सफाई, सड़क निर्माण और ठोस निस्तारण जैसे मुद्दे अधिक प्रभावी और दीर्घकालिक समाधान हैं, न कि ढोल-प्रदर्शन जैसे प्रतीकात्मक कदम। परिणामस्वरूप, कुछ जगहों पर ढोल के साथ प्रदर्शन बढ़े हैं, और शासन-प्रशासन के प्रति जनता की आशंकाएं बनी रहने लगी हैं। इस बहस में राजनीतिक दलों के समर्थक और विपक्ष दोनों के पक्ष इसे व्यक्तिगत-राजनीति बनाकर देखते हुए आगे चल रहे हैं, जिससे चंडीगढ़ की स्थानीय राजनीति में आने वाले दिनों में और भी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।
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