चंडीगढ़ में 800 km/h पर जेट एस्केप सिस्टम का सफल परीक्षण

डिफेंस टेक्नोलॉजी में नया अध्याय: DRDO का स्वदेशी एस्केप सिस्टम

चंडीगढ़ के DRDO परिसर में देश के रक्षा टेक्नोलॉजी के लिए एक अहम परीक्षण हुआ। यह परीक्षण स्वदेशी फाइटर जेट एस्केप सिस्टम पर केंद्रित था। टेस्ट RTRS रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड पर किया गया। स्पीड लगभग 800 किमी/घंटा तक पहुंचाई गई। तीन प्रमुख चेक थे। कैनोपी खुली या नहीं, इजेक्शन सीट क्रम से बाहर निकली या नहीं, और क्या पायलट सुरक्षित बच पाया? इस प्रयास को DRDO, IAF, ADA और HAL ने मिलकर अंजाम दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी बधाई दी और इसे आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक के लिए बड़ा कदम बताया। उन्होंने इसे X पर भी साझा किया। यह विवरण देश के रक्षा नीति निर्माताओं के लिए अहम संकेत है। आत्मनिर्भरता के लिए किए गए अनुसंधान परियोजनाओं का यह सशक्त प्रदर्शन है। यह आत्मनिर्भर रक्षा प्रावधानों के लिए प्रेरक संकेत है।

कैसे किया गया टेस्ट

तेज़स विमान का फ्रंट फ्यूज़लाज, जिसे फोरबॉडी कहते हैं, RTRS ट्रैक पर रखा गया। रॉकेट मोटरों ने इसे गति दी। ट्रैक पर एक इंसानी डमी बैठी ताकि हर झटका रिकॉर्ड हो सके। कैमरों और सेंसर ने दिखाया कि इजेक्शन सीट सही समय पर सक्रिय हुई। यह डेटा तुरंत सुरक्षित तरीके से विश्लेषकों के पास गया। IAF, इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन और अन्य विशेषज्ञ संस्थानों ने परीक्षण देखा। कुल मिलाकर प्रदर्शन ने दिखाया कि सिस्टम भरोसेमंद रहा और सुरक्षा मानक पूरे लगे। रिपोर्टों में यह संकेत मिला कि पायलट सुरक्षा में कोई कमी नहीं आई। IAF और DRDO की टीमों ने एक साथ आकर सभी संकेतकों की समीक्षा की। आगे के चरणों में इन परिणामों का तकनीकी लाभ मिलेगा।

क्यों यह टेस्ट खास है

स्टैटिक टेस्ट स्थिर मशीनों पर होते हैं और सरल पास होते हैं। डायनेमिक टेस्ट असली उड़ान जैसी स्थितियां बनाते हैं। यह टेस्ट दर्शाता है कि इजेक्शन सीट और पायलट सुरक्षा कितनी सुरक्षित और भरोसेमंद है। यही वजह है कि गतिशील परीक्षणों को अहम माना गया है। DRDO, IAF, ADA और HAL के इस संयुक्त प्रयास से स्वदेशी रक्षा तकनीक मजबूत होती है। देश की सुरक्षा चौकी से जुड़े उद्योग-शिक्षा क्षेत्र एक साथ उन्नत हुए हैं। यह सफलता लागत नियंत्रण, स्थानीय उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में भी फायदे देती है। यह परिणाम रक्षा उद्योग के लिए बड़े अवसर खोलते हैं।

आगे की राह और महत्त्व

यह टेस्ट भारत को रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। Make in India और आत्म-निर्भरता के प्रयासों को नया बल मिला है। DRDO की यह सफलता IAF की सुरक्षा क्षमता को मजबूत करेगी। ADA और HAL के साथ मिलकर विकसित तकनीक सुरक्षा क्षेत्र में भारत की वैश्विक भागीदारी को बढ़ाएगी। आने वाले महीनों में इन प्रणालियों का बड़े पैमाने पर परीक्षण और उत्पादन संभव होगा। राष्ट्र निर्माण के लिए यह प्रेरक मिसाल है। यह सुरक्षा तकनीक देश की सीमाओं के भीतर उपलब्ध कराई जा सके, यह लक्ष्य भी स्पष्ट होता है। आगामी वर्ष में देश के कई प्रोजेक्ट लाभान्वित होंगे।

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