शहीदी दिवस: गुरुद्वारे के गुल्लक से विदेशी नोट बरामद

लुधियाना के अमर शहीद बाबा दीप सिंह जी के शहीदी दिवस की पवित्र गूंज गुरुद्वारा साहिब में सुबह से ही सुनाई दी। भारी संख्या में संगत ने पवित्र स्थल पर पहुंचकर नाम सिमरन किया और प्रभु की कृपा के साथ श्रद्धा-आनंद की अनुभूति की। कमेटी सदस्य सुखविंदर पाल सिंह सरना ने बताया कि देश-विदेश से आए श्रद्धालु दर्शन-कीर्तन और सेवा भाव के साथ इस धार्मिक पर्व पर आकर गुरुद्वारे की पवित्र धरा पर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा-व्यवस्था और लंगर की पारदर्शी व्यवस्था के साथ भक्तजन शांत वातावरण में संकल्पित हुए। इस अवसर पर बाबा दीप सिंह के शहीदी दिवस की स्मृति नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए आयोजनों का संयोजन भी खास रहा। बाबा दीप सिंह के शहादत और शौर्य की गाथा से प्रेरणा मिलती है, जिसे जानने के लिए पंजाब टूरिज़्म साइट भी मार्गदर्शक है।

दोपहर में गुरुद्वारे में शास्त्रीय पाठों का क्रम शुरू हुआ, जिसमें श्री जपजी साहिब, श्री चौपाई साहिब और श्री सुखमणि साहिब के पाठ पूरे क्षेत्र में गुरबाणी की मधुर धारा की तरह प्रवाहित हुए। श्रद्धालुओं ने नाम वैरागी कीर्तन में भाग लिया और मन पर शांति के अद्भुत प्रभाव को महसूस किया। बच्चों से लेकर वरिष्ठ श्रद्धालु तक सभी ने मंत्र-प्रणव के साथ पाठों का लाभ उठाया और पवित्र वातावरण में आत्मशोधन का अनुभव किया। गुरुद्वारे की साफ-सुथरी पंगत और वातावरण ने भक्तायों के दिलों में एक नई सहानुभूति पैदा की, जो आज के दिन की विशिष्टता बन गई है।

शाम के समय रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन के द्वारा संगत को आध्यात्मिक शांति से जोड़ा। इस पूरी गतिविधि के बीच समुदाय की व्यावस्था में संतुलन बनाए रखने के लिए अलग-अलग हॉलों में बैठने की सुविधाएं दी जा रही थीं ताकि हर श्रद्धालु को शांतिपूर्ण प्रवास का अनुभव मिल सके। वहीं हर शनिवार की तरह इस शनिवार भी साप्ताहिक गुल्लक गिनती का आयोजन किया गया, जिसमें कनाडा, अमेरिका और दुबई की विदेशी मुद्राएं प्राप्त हुईं—एक संकेत कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर हर साल जैसी ही आस्था लेकर आते हैं। कमेटी सदस्य सुखविंदर पाल सिंह सरना ने दोहराया कि इस पावन स्थल पर देश-विदेश से संगत दर्शन के लिए आती है और इस प्रकार की आर्थिक सहभागिता भी श्रद्धालुओं के योगदान का हिस्सा बनती है।

हर बुधवार होने वाले जप तप समागम में भी विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं, और संगत की सुविधा के लिए अलग-अलग हॉल में बैठने की व्यवस्था की जाती है ताकि भीड़ के बीच प्रत्येक भक्त को आराम मिले। हरप्रीत सिंह राजधानी ने कहा कि हर सप्ताह प्रसिद्ध रागी जत्थे बुलाए जाते हैं, जो मौजूदा श्रद्धा परंपरा को नए आयाम देते हैं। नवप्रीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि संगत के लिए मेडिकल कैंप और धार्मिक यात्राएं भी कराई जाती हैं, ताकि स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति दोनों एक साथ हासिल हो सकें। अमरजीत सिंह टिक्का ने जानकारी दी कि संग्राद के अवसर पर भी आज विशेष कीर्तन समागम होगा, जिसमें संगत मिलकर नाम सिमरन करेगी—यह आयोजन शहीदी दिवस की पवित्र प्रेरणा को और मजबूत करेगा।

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