हरमीत संधू ने तरनतारन में शपथ ली—बड़े नेताओं की मौजूदगी चर्चा में, वजह जानें

तरनतारन विधानसभा उपचुनाव के परिणामों के बीच आज हरमीत सिंह संधू ने विधायक पद की शपथ लेकर राजनीतिक घटनाक्रम के नए दौर की शुरुआत कर दी। शपथ लेने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की, जिसे राजनीतिक अवसर की लिहाज से अहम माना जा रहा है। चंडीगढ़ स्थित विधानसभा स्पीकर कुलतार संधवा ने उनके चैंबर में संधू को विधायक पद की शपथ दिलाई, और इस अवसर पर आम आदमी पार्टी (AAP) के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। इस जीत के साथ संधू का राजनीतिक सफर एक नए मोड़ पर पहुँचा है, क्योंकि उन्होंने कुछ महीने पहले ही अकाली दल छोड़कर आप में शामिल होकर यह उपचुनाव लड़ना स्वीकार किया था।

इस उपचुनाव के पीछे की कहानी 2022 के चुनाव के परिणाम से जुड़ी है, जब यह सीट कथित तौर पर आम आदमी पार्टी के कश्मीरे सिंह_sohal जीते थे, परन्तु की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद यह सीट खाली हो गई और AAP ने हरमीत सिंह संधू को उम्मीदवार बनाकर इस उपचुनाव में खड़ा किया। संधू ने 12,091 वोटों के गैप से जीत दर्ज की, जबकि दूसरे स्थान पर शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदवार सुखविंदर कौर रहीं। यह परिणाम पंजाब की राजनीति में अकाली दल के लिए एक तरह का “कमबैक” माना गया, क्योंकि पार्टी ने इस उपचुनाव में प्रदर्शन सुधार दिखाया और सत्ता से बाहर रहते हुए भी वह दूसरे स्थान तक पहुंचने में सफल रही।

उच्चस्तरीय राजनीतिक विश्लेषण में इस उपचुनाव को पंजाब की सत्ता-राजनीति के ध्रुवों में एक महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत के तौर पर देखा गया। आम आदमी पार्टी ने जहां इस सीट पर अपना कब्जा मजबूत किया, वहीं शिरोमणि अकाली दल ने दिखाया कि विरोधी गढ़ों में उसकी उपस्थिति अब भी बनी हुई है। इस परिप्रेक्ष्य में पंजाब की राजनीति में AAP और SAD के बीच स्थिति किस दिशा में जाती है, इसका आकलन आने वाले महीनों में और स्पष्ट होगा।

इस बीच चुनाव आयोग ने उपचुनाव के दौरान पुलिस की भूमिका पर कड़े शब्दों में समीक्षा की मांग की है। आयोग ने SSP रवजोत कौर ग्रेवाल को निष्पक्षता बनाए रखने से जुड़ी शिकायतों के कारण निलंबित करने के साथ ही 36 घंटे के भीतर मॉडल आचार संहिता के दौरान दर्ज सभी FIR और गिरफ्तारियों की समीक्षा का आदेश दिया है, जिसके लिए ADGP-स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि निर्वाचन प्रयोजन के माहौल में निष्पक्षता को सबसे ऊपर माना गया है। साथ ही आयोग ने पूछा है कि क्या इन कार्रवाइयों में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं रहा और क्या वे कार्रवाईयां सही थीं। उपचुनाव के दौरान पुलिस की बड़ी ज़ब्तियाँ भी हंगामे का विषय बनीं; लगभग 57 करोड़ रुपए की नकदी, शराब और नशीले पदार्थों की बरामदगी ने चुनाव सुरक्षा और पुलिस की भूमिका को लेकर बहस को और तेज किया है।

इस पूरी खबर के साथ पढ़िए आधिकारिक सूत्रों के ताजा अपडेट और विश्लेषण, ताकि तरनतारन विधानसभा उपचुनाव की प्रासंगिकता और पंजाब की राजनीति पर इसके प्रभाव को समझा जा सके। अधिक जानकारी के लिए देखें Election Commission of India और NDTV Elections Punjab कवरेज।

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