पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रसिद्ध नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें एक नये आयाम में दिख रही हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने मजीठिया के करीबी सहयोगी हरप्रीत सिंह गुलाटी को हिरासत में लिया है, जिससे आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले और मजबूत हो रहे हैं। आरोप है कि आकाश स्प्रीति, यू वी एंटरप्राइज और ए डी एंटरप्राइजेज नाम की शराब कंपनियों के जरिये धन के लेन-देन किया गया और इसी माध्यम से मजीठिया ने शिमला और दिल्ली में संपत्तियों के निर्माण की कथित संरचना बनाई। यह धन-हेरफेर और संपत्ति खरीद-फरोख्त का गठजोड़ उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे Vigilance Bureau ने जांच के दायरे में रखा हुआ है।
इस बीच, मजीठिया के साले गजपत सिंह ग्रेवाल के खिलाफ Mohali जिला अदालत में विजिलेंस ने एक एप्लिकेशन दायर कर भगोड़ा घोषित करने की तैयारी की पुष्टि की है। अदालत ने एक दिसंबर को इस मामले की सुनवाई तय की है। विजिलेंस के तर्कों के मुताबिक आरोपी के विभिन्न पते—संगरूर स्थित घर, बसंत विहार दिल्ली और डिफेंस कॉलोनी दिल्ली—पर नोटिस भेजे गए थे और उनके साथ पूछताछ की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह पेश नहीं हुए। अब फिर से समन जारी कर तलब किया गया है ताकि आपराधिक साजिश रचे जाने के धाराओं के साथ उनकी उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
पंजाब सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में गत माह इस केस को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी थी, और 10 दिसंबर को आरोप-निर्धारण (framing of charges) की संभावित सूची पर फैसला होने की संभावना बताई जा रही है। इस चरण में मजीठिया के वकीलों की तरफ से विजिलेंस द्वारा प्रस्तुत चालान पर बहस होगी और फिर अदालत तय करेगी कि कौन-कौन से धाराओं के तहत मामला आगे बढ़ेगा। वहीं, मजीठिया पर दर्ज अन्य मामलों में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है, और अदालत संभवत: कभी भी फैसला सुनाने की स्थिति में है।
यह मामला पंजाब की राजनीतिक और कानूनी बहसों के बीच एक बड़ा संवेदनशील मोड़ बन चुका है, क्योंकि धन-शोधन-घोटाले के साथ संपत्ति निर्माण और विपक्षी नेताओं के बीच सत्ता-तनाव से जुड़ी गाथाएं अक्सर सुर्खियां बनती रही हैं। अगर अदालत द्वारा आरोप तय होते हैं और आगे की कार्रवाई शुरू होती है, तो राजनीतिक प्रभाव भी तेज होगा। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे मामलों में घटनाक्रम की गति वैचारिक और कानूनी दबावों के बीच निर्भर होगी, तथा यह देखने वाली बात होगी कि न्याय प्रक्रिया कितनी पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ आगे बढ़ती है। सार्वजनिक हित में सरकार औरadil के बीच संतुलन बनाये रखना जरूरी होगा ताकि कानून के बराबर सबके लिए समान दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके.
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