हाईकोर्ट अलर्ट: मानसा में बच्चा नशे के लिए बेचा

मानसा जिले से जुड़े नशे के लिए बच्चे की बिक्री के मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है। याचिका के अनुसार, 1.8 लाख रुपए में कथित तौर पर अपने नशे के आदी माता-पिता ने पांच माह के बच्चे को बेच दिया था, जिसका विस्तृत औचित्य और वास्तविक स्थिति अब भी संदिग्ध बना हुआ है। इसी सिलसिले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार से उस बच्चे की वर्तमान कस्टडी और कल्याण से जुड़ी विस्तृत जानकारी मांगी है, ताकि बाल सुरक्षा और नशे के प्रभावों के बीच इन घटनाओं का सही आकलन हो सके। अदालत ने यह निर्देश तब जारी किया जब याचिका में kaha गया कि बच्चे के संरक्षण, स्वास्थ्य चेक-अप और आगे के पुनर्वास के लिए ठोस प्लान बेहद आवश्यक है।

हाईकोर्ट की कार्यवाही के दौरान अदालत ने जिस बात पर खास चिंता जाहिर की, वह यह थी कि मानसा जैसा मामला कोई इत्तफाक नहीं हो सकता; यह पंजाब में फैली नशे की महामारी का भयावह चेहरा है, जिसने राज्य के नैतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे को बुरी तरह खोखला कर दिया है। न्यायालय ने यह टिप्पणी जनहित याचिका के प्रति अपनी गहरी संवेदनशीलता और बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ की। यह याचिका sewanivrita boxing coach और सामाजिक कार्यकर्ता लाभ सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसने नशे से प्रभावित परिवारों में बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है।

याचिका में स्पष्ट रूप से मांग की गई है कि पंजाब सरकार एकत्रित विवरण के साथ अदालत के सामने पेश हो: बच्चे की मौजूदा कस्टडी स्थिति, कल्याण योजना और स्वास्थ्य-देखरेख की स्थिति की पुख्ता रिपोर्ट; बाल संरक्षण अधिकारियों की निगरानी में बच्चे के सुरक्षित पुनर्वास की व्यवस्था; परिवार से भी संबंधित कानूनी कदमों की जानकारी और ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए कठोर निगरानी के उपाय। संक्रमण-रोधी उपाय, बच्चों के इलाज और心理 समर्थन जैसी जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि ऐसी घटनाओं का पुनरावृत्ति रोकी जा सके। साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर नशे से जुड़े अपराधों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने पर भी बल दिया गया है।

यह मामला न केवल पंचायती व्यवस्था के भीतर बच्चों के संरक्षण का सवाल है, बल्कि पंजाब में नशे की महामारी से उबरने के लिए सामुदायिक सुरक्षा, सामाजिक पुनर्वास और पारिवारिक सहायता के आवश्यक सुधारों को भी उजागर करता है। मानसा के इस मामले के प्रति उच्च न्यायालय की यह गहन निगरानी और स्पष्ट निर्देश स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि राज्य को बच्चों के अधिकारों के सुरक्षा-चक्र को मजबूत करने के लिए न्यायिक सहारे के साथ-साथ प्रशासनिक सुधार भी तेजी से लागू करने होंगे। अधिक सुदृढ़ सुरक्षा तंत्र और पारदर्शी मानीटरिंग के जरिये ऐसी घटनाओं से निपटने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। UNODC: India drug use और केन्द्रीय गृह मंत्रालय जैसे स्रोतों पर drug abuse से जुड़ी उपलब्ध जानकारी भी मददगार हो सकती है।