पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) की IT सेल के नेशनल प्रेसिडेंट नछत्तर सिंह गिल को अंतरिम जमानत देकर राहत प्रदान की है, जिससे अकाली दल में राहत की लहर है। अदालत के इस फैसले के बाद गिल की रिहाई के आदेश जारी कर दिये गये हैं, जिनसे पार्टी के भीतर तनाव कम करने की उम्मीद प्रबल हो गयी है। यह कदम ऐसे वक्त आया है जब विधानसभा उपचुनाव के माहौल में विपक्षी दलों के विरुद्ध कार्रवाई के मामले कहीं अधिक संवेदनशील बन चुके हैं।
तरनतारन पुलिस ने 15 नवंबर को अमृतसर के रंजीत एवेन्यू स्थित एक कैफे से नछत्तर सिंह गिल को हिरासत में लिया था, जहां वे अपने मित्रों के साथ बैठे थे। पुलिस ने कैफे से उनका डिवाइस-वीडियो रिकॉर्डिंग (DVR) भी अपने कब्जे में लिया। पुलिस के मुताबिक यह कार्रवाई DSP अतुल सोनी की अगुवाई में की गई, जो फिलहाल गोइंदवाल साहिब में तैनात हैं। नछत्तर गिल वर्ष 2018 से अकाली दल की IT सेल के प्रमुख हैं और उनकी गिरफ्तारी की खबर से पार्टी के कुछ नेताओं ने प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल उठाए थे।
कानूनी तौर पर मामला 5 नवंबर को दर्ज किया गया था, जब गिल और उनके 20–25 समर्थकों पर अमृतसर के झब्बाल चौक पर ड्यूटी पर लौट रही CIA टीम को जबरन रोककर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगा। CIA इंचार्ज इंस्पेक्टर प्रभजीत सिंह की शिकायत पर तरनतारन सिटी थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद उनका कोर्ट में पेशी का दावा किया गया था। पुलिस ने बताया कि नियमानुसार आगे की कानूनी प्रक्रियाओं के लिए अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाना था। अकाली दल ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा था कि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाइयाँ हो रही हैं, और उपचुनाव से पहले ऐसी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।
हाई-प्रोफाइल आरोप-प्रकरण के बीच अकाली दल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पार्टी नेताओं के विरुद्ध की जा रही कार्रवाइयों के बारे में संज्ञान लिया जाना चाहिए और लोकतांत्रिक माहौल खराब करने वाले कदम रोकने चाहिए। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने चुनाव पर्यवेक्षकों से पत्र लिखकर कहा कि जिला स्तर पर कुछ अधिकारियों के संरक्षण में विपक्षी नेताओं को धमकाया जा रहा है, जबकि प्रत्याशी सुखविंदर कौर रंधावा ने आरोप लगाया कि अकाली कार्यकर्ताओं को अवैध हिरासत में लेकर झूठे मामलों की धमकी दी जा रही है।
अब जबकि नछत्तर सिंह गिल को अंतरिम जमानत मिल चुकी है, पुलिस की जांच के चरण और दिशा-निर्देशों पर नयी धारा डालती नजर आ रही है। आने वाले दिनों में देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाती है और राजनीतिक परिदृश्य में उत्पन्न तनाव कैसे बदलेगा। उच्च न्यायालय के फैसले से यह भी संकेत मिला है कि आगे की कानूनी प्रक्रिया में दोनों पक्षों के पक्ष स्पष्ट रूप से सामने आ सकते हैं और अदालत के समक्ष तर्क-वितर्क के नए मोड़ बनेंगे। अधिक अपडेट के लिए देखें हिस्सेदारीपूर्ण कवरेज और विश्लेषण।
External sources:
– Punjab & Haryana High Court official site
– The Tribune
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