श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर बनी फिल्म “Hind Ki Chadar” आज (21 नवंबर) को रिलीज नहीं होगी. यह परियोजना बवेजा स्टूडियो द्वारा बनाई गई थी और गुरु तेग बहादुर की शहादत के 350वीं वर्षगांठ के मौके पर रिलीज करने की योजना थी. लेकिन इस फिल्म पर पहले से ही SGPC ने एतराज जताया था, जिसके चलते बवेजा स्टूडियो ने अबAkāl तख़्त को सूचित किया है और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी यह सूचना साझा की है. इस घटनाक्रम के संदर्भ में فشار-भर में फिल्म की चयनित प्रस्तुति और भावनाओं के प्रति सम्वेदनशीलता पर बहस तेज हो गई है. इसके साथ पूरा माहौल देखते हुए कई श्रद्धालु और अधिकारिक संस्थान इस फैसले को इतिहास और दृश्य-शिल्प के संतुलन के तौर पर देख रहे हैं.
इस मामले में बवेजा स्टूडियो के प्रबंधकों ने अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज को एक पत्र के जरिये पूछा है कि इस फिल्म की किन खामियों को उजागर किया जाए. जांच समिति ने फिल्म देखने के बाद अपनी रिपोर्ट अकाल तख्त को भेजी थी और उसी समय SGPC के मुख्य सचिव कुलवंत सिंह मंनन ने निर्माताओं और निर्देशक से कहा था कि सिख भावनाओं के अनुरूप ऐसी प्रस्तुति को सार्वजनिक न किया जाए. मंनन का तर्क था कि ऐसी फिल्मों से न सिर्फ भावनात्मक आघात होता है, बल्कि समुदाय में विभाजन और विवाद भी पैदा हो सकते हैं. खासकर जब पूरा पंथ गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी का उत्सव मना रहा हो, तब इतिहास की दखलअंदाजी से बचना चाहिए.
बवेजा स्टूडियो ने इससे पहले चार साहिबज़ादे एनिमेशन फिल्मों के जरिए इतिहास को पर्दे पर प्रस्तुत किया था, जिसे संगत ने बहुत सराहा था और आज भी इसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. इस फ्रेमवर्क में स्क्रिप्ट से लेकर गीतों तक, कई प्रसिद्ध पंजाबी गायकों ने भाग लिया था, जिसने फिल्म को व्यापक पहचान दी. हालांकि इस बार धार्मिक और ऐतिहासिक विषयों पर निर्भर संवेदनशीलता को देखते हुए रिलीज़ के निर्णय में देरी संभव दिखती है. साथ ही, गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति सम्मान और धार्मिक भावनाओं की रक्षा की पुकार को लेकर पंथ-जागृति और समुदाय-संरक्षा पर चर्चा तेज है. अधिकतर शुभचिंतक यह मानते हैं कि इतिहास की प्रस्तुति तभी सार्थक होती है जब वह सत्य के साथ संतुलित हो और श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करे.
इस विषय में आगे क्या होगा, इसका निर्णय आधिकारिक स्तर पर लिया जाएगा. निर्माता-निर्देशक समूह ने कहा है कि वे अकाल तख्त के निर्देश और पंथ की मान्यताओं का पूर्ण सम्मान करेंगे, ताकि इतिहास की सत्तात्मक प्रस्तुति से किसी भी बहस-झगड़े की जगह न बने. रिलीज़ से पहले के विवाद और संवाद देखने के बाद अब आगे के कदम स्पष्ट होंगे. जो भी निर्णय होगा, वह समुदाय की एकता, ऐतिहासिक सच्चाई और धार्मिक भावनाओं के सम्मान के आधार पर किया जाएगा. अधिक जानकारी और ताज़ा अपडेट्स के लिए नीचे दिए गए विश्वसनीय स्रोत देखें: SGPC आधिकारिक साइट, BBC हिन्दी.
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