जालंधर रोडवेज डिपो में किलोमीटर स्कीम बसों के टेंडर रद्द न होने के विरोध में कर्मचारियों का धरना तीसरे दिन भी जारी है। डिपो के भीतर निजी बसों के प्रवेश पर रोक है, जिससे डिपो अस्त-व्यस्त होता दिख रहा है और यात्रियों की सुविधाओं पर असर पड़ रहा है। कर्मियों का आरोप है कि सरकार रोडवेज के हितों की अनदेखी कर रही है, जिससे उनका मनोबल टूटने के बजाय और घृणित हो रहा है। टेंडर प्रक्रिया पर बने विवाद के कारण डिपो की नियमित सेवाओं में अस्थिरता दिख रही है और कर्मचारियों की मांग है कि Kilometer Scheme से जुड़े समझौते और संभावित विकल्पों पर तुरंत कदम उठाए जाएँ ताकि जनता को निर्बाध सार्वजनिक परिवहन मिल सके। आंदोलन के इस स्तर पर, डिपो के भीतर सुरक्षा और परिचालन प्रक्रिया में भी अनिश्चितता बढ़ती जा रही है, जो स्थानीय यात्रा योजनाओं पर सीधे असर डाल रही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सरकार के साथ चर्चा को तेज किए जाने की मांग तेज है, क्योंकि Kilometre Scheme की संवेदनशीलता और निजी बसों के प्रवेश से जुड़ा प्रश्न ड्राइवर-परिचालक समुदाय के लिए निर्णायक मुद्दा बना हुआ है।
कच्चे मुलाजिमों की सस्पेंशन के मुद्दे ने आंदोलन में नया उफान ला दिया है। यूनियन के सदस्य चनण सिंह ने बताया कि सरकार ने 29 नवंबर को कुछ कच्चे मुलाजिमों को निलंबित कर दिया था, जिसे अभी तक बहाल नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री मान के बयान के बाद भी सस्पेंशन कैंसिल नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों में रोष और गहराया है। इन नौकरियों के तौर-तरीक़े, स्थायित्व और भविष्य की नियुक्तियों के सवाल उठ रहे हैं और संगठन के अनुसार, कच्चे मुलाजिमों को तुरंत बहाल किए जाने से ही डिपो में औपचारिक संतुलन स्थापित हो पाएगा। डिपो के भीतर वेतन, सुरक्षा कवच और स्थायी व्यवस्था को लेकर चल रही बहसों के बीच यह सस्पेंशन एक ऐसे मुद्दे के तौर पर उभरकर सामने आया है जो आंदोलन की दिशा तय कर सकता है। नुकसान के तौर पर देर से बहाली और भर्ती की अनिश्चितता यात्रियों की सेवाओं पर भी असर डाल रही है, जिससे सेवानियों के साथ-साथ कमाई पर भी प्रभाव दिख रहा है।
आज होने वाली अहम बैठक इस पूरे मैनजरुम को निर्णायक मोड़ दे सकती है। पंजाब के ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ दोपहर में होने वाले संवाद से तय होगा कि धरना जारी रहेगा या आंदोलन की रणनीति आगे के चरणों में बदलेगी। चणण सिंह ने बताया कि मीटिंग के परिणाम के बाद ही निर्धारित किया जाएगा किهل डिपो में जारी धरना आगे बढ़ेगा या अगले चरण के कदम उठाए जाएंगे। कर्मचारी पूरी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी इन मांगों पर स्पष्ट संकेत देगी, ताकि Kilometre Scheme और कच्चे मुलाजिमों के मुद्दे पर उचित समाधान निकल सके। इस बीच, कामकाज में बाधाओं के बावजूद स्टाफ यात्रियों की सुविधा के लिए डिपो के बाहर वैकल्पिक मार्गों और व्यवस्था पर लगातार काम कर रहा है ताकि दैनिक आवाजाही बनी रहे। इस घटनाक्रम पर पूरा फोकस है कि सार्वजनिक परिवहन की विश्वसनीयता कैसे बनाए रखें और कर्मचारियों के हितों के संतुलन के साथ नीति निर्माण कैसे आगे बढ़े। अधिक संदर्भ के लिए देखें: Tribune India, Punjab Transport Department.
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