एक कार्यक्रम में संबोधन देते हुए जस्टिस गर्ग ने कहा रास्ता लंबा है, सफर नहीं एक ऐसी पंक्ति जिसने उपस्थित युवाओं विधि छात्रों और न्यायिक अधिकारियों को गहराई से प्रभावित किया। न्यायपालिका में पारदर्शिता, धैर्य और सतत सुधार की आवश्यकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों, लेकिन निरंतर प्रयास और समर्पण से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
जस्टिस गर्ग ने कहा कि देश में न्याय की प्रक्रिया भले ही लंबी प्रतीत होती हो, लेकिन सुधारों, तकनीक और पारदर्शिता के साथ यह सफर पहले से कहीं बेहतर और तेज़ हो चुका है। उन्होंने बताया कि अदालतों में लंबित मामलों को तेज गति से निपटाने के लिए डिजिटल सिस्टम, ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन फाइलिंग जैसी व्यवस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि कानून का क्षेत्र केवल करियर नहीं, बल्कि समाज सेवा की राह है। “अगर आपका उद्देश्य न्याय में योगदान देना है, तो यात्रा लंबी जरूर होगी, लेकिन सफर हमेशा सार्थक रहेगा।” जस्टिस गर्ग ने जोर देते हुए कहा कि समाज की उम्मीदें न्यायपालिका से बहुत ऊँची हैं और यह भरोसा बनाए रखना सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में मौजूद विधि विशेषज्ञों ने भी जस्टिस गर्ग के विचारों को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि यह संदेश युवा वकीलों और न्यायिक अभ्यर्थियों में नई ऊर्जा भरता है। उनके अनुसार, बदलते समय के साथ न्यायिक प्रक्रिया में सुधार अब अनिवार्य हो चुका है।
अंत में जस्टिस गर्ग ने कहा कि न्यायपालिका का हर कदम समाज को मजबूत करता है।
“हमें रास्ते की लंबाई से नहीं, सफर के महत्व से प्रेरित होना चाहिए।”
उनका यह संदेश न केवल न्याय व्यवस्था के सुधारों की ओर इशारा करता है, बल्कि युवाओं को धैर्य और प्रतिबद्धता की सीख भी देता है।