लुधियाना लोक अदालत का रिकॉर्ड: 95,902 फैसले, ₹110.68 करोड़ — जानिए

नेशनल लोक अदालत के प्रमुख तथ्य

लुधियाना की DLSA ने नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन किया। चेयरपर्सन माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरप्रीत कौर रंधावा ने इसे नेतृत्व दिया। यह आयोजन जिला कचहरी के अलावा उपमंडल स्तर तक फैला रहा। जगराओं, खन्ना, समराला और पायल में भी लोक अदालतें लगीं। सचिव सुमित सभ्रवाल ने बताया कि कुल 97,455 केस सुनवाई के लिए रखे गए थे। इनमें से 95,902 मामलों का मौके पर निपटारा हुआ। निपटारे के बाद अदालत ने 110.68 करोड़ रुपए से अधिक के अवार्ड जारी किए। यह आयोजन लंबित और मुकदमे से पहले दोनों प्रकार के मामलों के लिए था। लोक अदालत से समाज में शांत और सुव्यवस्थित न्याय पहुंचना संभव हुआ। कार्यक्रम की सफलता में सचिवालय और न्यायिक अधिकारियों का संयुक्त योगदान रहा। यह पहल जनता तक तेजी से न्याय पहुंचाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। लोक अदालतों के प्रभाव को स्थानीय अदालतों ने सराहा। सरकारी और सामाजिक संस्थाएं भी इस पहल में सक्रिय रहीं।

चेक बाउंसिंग और वैवाहिक मामलों में परिणाम

चेक बाउंसिंग के मामलों में भी बड़ी सफलता मिली। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश बरिंदर सिंह रमाना की बेंच ने ‘रानी शर्मा बनाम कुलजीत कौर’ अपील निपटाई। यह धारा 138 NI एक्ट से जुड़ा था। मूल चेक राशि 30 लाख रुपये थी। दोनों पक्षों की सहमति से निपटारा ₹11,50,000 में किया गया। समझौते से ऋण और बकाया पर भी जागरूकता बढ़ी। यह मिसाल कानून के भीतर संवाद और समझौतों पर जोर देती है। लोक अदालतों की तेज प्रक्रिया से पीड़ितों को राहत मिली। निपटारे से प्रशासनिक खर्च में भी कमी आई। इन सफलताओं से अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा मिली।

वैवाहिक मामलों में समझौता और सामाजिक प्रभाव

एक ओर वैवाहिक विवादों में भी बड़ी सफलता मिली। फैमिली कोर्ट के Principal Judge Rama Kumar ने केस की निगरानी की। HMA-777/2025 केस में हल निकला। लगभग एक साल से दोनों पक्ष अलग रहते थे। न्यायालय ने mediation से समाधान निकाला। दोनों ने साथ रहने की सहमति दी। उन्होंने सभी लंबित मुकदमे वापस लेने पर भी सहमति जताई। यह फैसला सामाजिक स्थिरता के लिए अहम माना गया। परिवारिक तनाव घटा और बच्चों के हित सुरक्षित रहे। ऐसे निर्णय से सामाजिक ढांचे में स्थिरता बढ़ी। ऐसे मॉडल से भविष्य में भी तेज फैसले होंगे। मिश्रित न्यायिक स्वरूप से हर वर्ग को लाभ मिल सकता है।

लोक अदालत के लाभ, प्रक्रिया और संसाधन

सीजेएम-कम-सचिव सुमित सभ्रवाल ने लोक अदालत के फायदों को रेखांकित किया। समझौते से फैसले होते हैं और समाज में शांति बनी रहती है। मुकदमे निपटाने पर पूरी कोर्ट फीस वापस कर दी जाती है। नेशनल लोक अदालत के लिए जिला स्तर पर 39 और उपमंडल स्तर पर 10 बेंच बनाए गए। इनका नेतृत्व न्यायिक अधिकारी कर रहे थे। कुल मिलाकर यह कदम न्याय तक पहुंच को तेज करता है। लोगों के लिए अदालत जाना आसान हुआ और समय की बचत भी हुई। यह एक मजबूत सहयोग का नमूना रहा। अधिक जानकारी के लिए देखें: NALSA और Punjab Judiciary

Related: जानें: जालंधर नीला महल फायरिंग—खोल बरामद, दो आरोपियों की पहचान