इस अवसर पर उप निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क कुमारी मंजुला विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उपायुक्त ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के इस दौर में उन्नत प्रौद्योगिकी ने मीडिया को अनेक सुविधाएं दी हैं। समाचार सम्प्रेषण से लेकर उसके प्रस्तुतिकरण तक में इसका उपयोग निरंतर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि एआई व अन्य संचार माध्यमों से सूचना प्रवाह बढ़ने से यह नागरिक समाज सहित पत्रकारिता जगत के लिए भी कई चुनौतियां लेकर आया है। पत्रकारों को समय सीमा के भीतर अपनी स्टोरी भेजने से लेकर सूचना की पुष्टि तक कई चरणों में कार्य करना होता है। ऐसे में कई बार भ्रामक सूचनाओं के जाल में फंसने की संभावनाएं रहती हैं।
उन्होंने कहा कि तथ्यात्मक रूप से पुष्ट जानकारी, तटस्थ, पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से कार्य करते हुए पत्रकारिता के उच्च मानकों को बनाए रख कर ही वे अपनी विश्वसनीयता कायम रख सकते हैं। आज का युवा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से क्यों दूर होता जा रहा है, इस पर भी मंथन करना समीचीन होगा।
अपूर्व देवगन ने कहा कि तथ्यपरक समालोचना से शासन-प्रशासन को भी महत्वपूर्ण फीडबैक प्राप्त होता है, जिससे व्यवस्था में सुधार व जन सेवाओं को और भी नागरिक सुलभ बनाए रखने में मदद मिलती है। हाल ही की आपदा के दौरान स्थानीय मीडिया ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि अपुष्ट, भ्रामक या गलत जानकारी से कई बार कानून-व्यवस्था को लेकर भी चुनौतियां सामने आ जाती हैं। ऐसे में मीडिया कर्मियों को सही व तथ्यपरक सूचनाओं का सावधानीपूर्वक चयन करना चाहिए। पत्रकारिता क्षेत्र में विविध तरह की कठिनाइयां अवश्य हैं और पत्रकारिता के उच्च मूल्यों और नैतिकता को बनाए रखते हुए पूरी जिम्मेवारी के साथ दायित्व निभाना समय की मांग है।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार डी.पी. गुप्ता ने कहा कि सूचना प्रवाह की इन चुनौतियों को पत्रकार जगत को स्वीकार करना होगा। भ्रामक सूचनाएं कहीं से भी प्राप्त हो सकती हैं, मगर इसके प्रभाव में आए बिना दोनों पक्षों को उचित अधिमान देते हुए तथ्यों को जांच-परख करना आवश्यक है। इसी से मीडिया की विश्वसनीयता कायम रखी जा सकेगी। पत्रकार के स्रोत पुख्ता होने चाहिए और युवा पत्रकारों को अधिकारिक पक्ष जानने की आदत डालनी होगी।