सिद्धू पटियाला में छोले-भटूरे; वड़िंग की कुर्सी दांव पर

तरनतारन विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पंजाब की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बदलाव के बीच पूर्व क्रिकेटर-राजनीतिज्ञ नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर बिजली की गति से सक्रिय होते दिख रहे हैं। शनिवार को उनका पटियाला दौरा इसी के संकेत हैं जब उन्होंने नगर-परिषद के आसपास के क्षेत्र में जाकर लोगों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, हाथ मिलाए और उनके हालचाल जाने। यह बैठकें सिर्फ एक सौहार्दपूर्ण नेह-सम्पर्क नहीं थीं, बल्कि पनप रहे राजनीतिक असंतोष और पार्टी के भीतर नेतृत्व-सम्बन्धी तकरार का भी आईना बन गईं। तरनतारन उपचुनाव के बाद प्रदेश प्रभारी राजा वड़िंग की नेतृत्व-शैली पर सवाल उठते दिख रहे हैं और कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा तथा सांसद सुखजिंद्र सिंह रंधावा भी उनसे खुश नहीं बताये जाते, जिससे पार्टी के भीतर वैचारिक खींचतान साफ दिखाई देती है। इस सिलसिले में पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा सोशल मीडिया पर ‘‘चन्नी करदा मसले हल’’ सीरीज शुरू करना भी हालिया घटनाक्रम के साथ एक नया राजनीतिक पंख माना जा रहा है, जबकि सिद्धू के पटियाला दौरे को इस माहौल में महत्त्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि सिद्धू की पत्नी, डॉक्टर नवजोत कौर सिद्धू, पहले से Amritsar East से चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं और वह भी सक्रिय रूप से मैदान में उतरकर लोगों से मिल रही हैं। पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव का मौसम अब चीजों को स्पष्ट कर रहा है, क्योंकि बढ़ती राजनीतिक संभावनाओं के बीच उनका नाम भी अमृतसर ईस्ट सीट के लिए प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। भले ही पार्टी टिकट दे या न दे, नवजोत कौर ने कहा है कि वे चुनाव लड़ेंगी—जो संकेत दे रहा है कि सिद्ध–परिवार 2027 विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक ढांचे पर विचार कर रहा है। यह सब उन सवालों को और हवा दे रहा है कि क्या 2027 की रणनिति कांग्रेस के भीतर एक नई धारा बनाएगी, खासकर तब जब उपचुनाव की हार के बाद आत्म-विश्वास में कमी और आंतरिक विद्रोह जैसे मुद्दे गहराते दिख रहे हैं।

2022 के आम चुनाव में अमृतसर ईस्ट से मैदान में उतरे सिद्धू उस चुनाव में जीत नहीं पाकर दूर-पथ पर चले गए। उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में उनका नाम स्टार प्रचारक के तौर पर लिस्ट में था, लेकिन वे प्रचारojis में सक्रिय नहीं दिखे। पटियाला के हालिया दौर और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के क्रमिक संकेत इस बात को मजबूत मान्य दे रहे हैं कि 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू एक बार फिर मुख्य राजनीतिक ट्रैक पर लौट सकते हैं। यह भी देखा जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय से चली आ रही पॉलिटिकल धारणाओं और चन्नी के नेतृत्व के बीच उनके स्थान और भूमिका को लेकर अंदरखाते चर्चा तेज है। सिद्धू के इस नए सक्रिय रुझान के पीछे यह धारणा मजबूत हो रही है कि ताकतवर विपक्ष की भूमिका में वह अपने समर्थकों के साथ एक नया मोड़ लाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कांग्रेस के भीतर एक नया संतुलन बन सके और 2027 के लिए नेतृत्व-निर्माण का क्रम पुनः स्थापित हो सके।

पंजाब की राजनीति में सिद्धू-चन्नी-Captain के तीन-तिहाई समीकरणों के बीच भविष्य की दिशा क्या होगी, यह तो वक्त बताएगा, पर इतना स्पष्ट है कि पटियाला के उनके दौरे ने विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए संकेत छोड़ दिए हैं। कैबिनेट-स्तर से लेकर पार्टी के आंतरिक नीतिगत कदमों तक, हर मोड़ पर सिद्धू की सक्रियता एक नए राजनीतिक पथ की ओर इशारा कर रही है। जहां एक ओर सिद्धू परिवार के साथ 2027 के चुनावी शंखनाद की तैयारी करता दिख रहा है, वहीं पार्टी के भीतर नेतृत्व-गतिरोध और टिकट-नीति जैसी चर्चाएं भी थमी नहीं हैं। और इस सबके बीच, विपक्षी दलों के लिए यह अवसर बन सकता है कि वे सिद्धू-के-फ्लो को विपक्षी धार में बदलकर पंजाब की राजनीति में एक नया द्वंद्व बनाएं। अधिक जानकारी के लिए देखें: Navjot Singh Sidhu – Wikipedia और The Hindu – Navjot Singh Sidhu.

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