दक्षिण-पश्चिमी कमान जयपुर में  गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का विशेष सत्र आयोजित

सत्र के दौरान गुरुदेव ने उपस्थित जन को सरल तकनीकों और एक संक्षिप्त ध्यान सत्र से मार्गदर्शित किया, जिससे प्रतिभागियों को गहरी विश्रांति, मानसिक स्पष्टता और तनाव मुक्ति का अनुभव हुआ। बाद में उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के सदस्य जीवन के दो समानांतर प्रवाहों में जीते हैं एक राष्ट्र के प्रति समर्पण का और दूसरा स्वयं के लिए और इन दोनों के संतुलन के लिए उच्च ऊर्जा, मन की स्पष्टता और आंतरिक स्थिरता की आवश्यकता होती है।

गुरुदेव ने सुधर्शन क्रिया और ध्यान जैसे अभ्यासों के परिवर्तनकारी प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए उल्लेख किया कि वैज्ञानिक अनुसंधान प्रतिरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि और भावनात्मक दृढ़ता को दर्शाते हैं। उन्होंने यूक्रेन और अफगानिस्तान सहित वैश्विक संघर्ष क्षेत्रों के उदाहरण साझा किए, जहाँ आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवकों ने श्वास-आधारित तकनीकों का परिचय कराया, जिससे प्रभावित सैनिकों और नागरिकों को स्थिरता, सांत्वना और नई आशा मिली। भारत की आध्यात्मिक विरासत का उल्लेख करते हुए गुरुदेव ने कबीर, मीरा बाई और गुरु नानक देव जी जैसे संतों का स्मरण किया तथा यह बल दिया कि अध्यात्म अंततः अपने भीतरी प्रकाश से जुड़ने का विषय है केवल दर्शन का नहीं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव का। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी की आगामी 350वीं जयंती के समारोहों का भी उल्लेख किया, जिनके बलिदान ने भारत की सांस्कृतिक आत्मा को संरक्षित किया।