एक हजार लोगों ने वंदे मातरम गीत का किया गायन

विपिन परमार ने कहा कि वंदे मातरम् जैसी महान रचना ना केवल स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट किया था बल्कि उनमें नई ऊर्जा का संचार किया था जिसके कारण आज हम स्वतंत्र भारत में खुली हवा में सांस ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1875 में श्री बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने “वंदे मातरम्” की रचना की और 1896 में रवींद्र नाथ टैगोर ने इसका सार्वजनिक वाचन किया और देखते ही देखते यह मां भारती के सपूतों के लिए मां के प्रति समर्पण का भाव बन गई। वंदे मातरम् केवल इन शब्दों को सुनते ही स्वतंत्रता सेनानी अपने प्राणों की परवाह किए बिना केवल राष्ट्र प्रथम के भाव को लेकर अपनी जान हथेली पर रख कर कुछ भी करने को तैयार हो जाते थे। केंद्र सरकार द्वारा इस महान रचना की 150 वीं वर्षगांठ मनाने का निर्णय उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि है जिसके लिए पूरा भारत वर्ष केंद्र सरकार को धन्यवाद देता है क्योंकि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं अपितु अखंड भारत की आत्मा है।

पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत वर्ष को आजाद करने में करोड़ों राष्ट्र भक्तों के बलिदान को कभी नहीं भूला जा सकता और उनमें राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र भक्ति को प्रवाहित करने वाली कालजई रचना वंदे मातरम् की 150 वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में शामिल होना ही अपने आप में गर्व और हर्ष का विषय है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन केवल आयोजन मात्र नहीं है यह हर भारतीय के लिए राष्ट्र भक्ति, राष्ट्रीय समरसता और अखंड भारत की भावना को जगाने का संदेश है।