पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में सीनेट चुनाव की तिथि अभी तक घोषित नहीं हो सकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले 25 नवंबर 2025 तक का समय बिताने की बात कही थी, जिसे “पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ बचाओ मोर्चा” से जोड़कर माना गया है। इसके जवाब में मोर्चा ने 26 नवंबर 2025 को यूनिवर्सिटी का पूर्णतः बंद करने की विशाल घोषणा कर दी है और इससे पहले भी कई बार बंद करने की चेतावनी दी जा चुकी है। इस क्रम में आगामी बुधवार को होने वाले प्रदर्शन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, जिसमें प्रदेश भर से छात्र-युवा संगठनों के सदस्य भी शामिल होंगे और संगठनात्मक रूप से एकजुट होकर कदम उठाएंगे। यह विरोध अध्ययन का स्पष्ट संकेत है कि सेनेट चुनाव की तिथि तय नहीं होने पर विद्यार्थियों के बीच असंतोष बढ़ रहा है और कई हिस्सों में एकीकृत प्रयास देखने को मिल रहा है। संपूर्ण स्थिति पर नजर बनाये रखने के लिए मीडिया कवरेज में Ms. Renu Vij की भूमिका और निर्णयों की अहम भूमिका सामने आ रही है। हालिया खबरों के अनुसार प्रदर्शन का स्वरूप अधिक आक्रामक हो सकता है, जो पंजाब यूनिवर्सिटी के भीतर और बाहर गंभीर असर डाल सकता है। नीचे दिए गए लिंक देखें ताकि आप विस्तृत कवरेज से अपडेट रह सकें: The Tribune | The Indian Express।
वाइस चांसलर रेनू विज ने सीनेट चुनाव करवाने के लिए चांसलर और उपराष्ट्रपति से अनुमति माँगी है, मगर इस पर अभी तक पुख्ता मंजूरी नहीं मिल सकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से इस प्रस्ताव पर राजनीतिक-प्रशासनिक दखल के बावजूद स्वीकृति मिल पाना मुश्किल दिखाई देता है, क्योंकि उच्च प्राधिकारियों के साथ बातचीत और प्रक्रिया संहिता के अनुसार ही आगे बढ़ेगी। ऐसे में छात्रों के समूह अत्यधिक दबाव डालने के साथ-साथ दबाव के नए माध्यमों को भी अपनाने में जुटे हैं ताकि 26 नवंबर 2025 की बंदी सफल हो सके। विद्यार्थियों के समूह ने रैलियों के जरिये यूनिवर्सिटी के अंदर दुकानें चलाने वालों, विभागों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को इस मामले से अवगत कराने के साथ-साथ अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने की कोशिश भी तेज कर दी है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि सेनेट चुनाव की प्रक्रिया में देरी से विद्यार्थियों में असंतोष बढ़ रहा है और वे प्रशासन से जल्द निर्णय चाहते हैं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया और लोकल नेटवर्क के जरिये पणों-परिचितों को इस मोर्चे के नतीजों से बचना मुश्किल होगा।
स्थानीय स्तर पर राजनीतिक-सामाजिक समर्थन की धार अभी मजबूत दिख रही है। मोगा जिले के गांव पंजग्राईं खुर्द पंचायत ने इस प्रदर्शन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है। पंचायत ने गांव की महिला सरपंच बलजीत कौर और सभी पंचों के हस्ताक्षर के साथ यह स्पष्ट किया है कि Chandigarh विवाद में पंजाब का हक प्राथमिकता पर है और इस मोर्चा के साथ खड़े रहने की बात कही है। पंचायत ने समुदाय से भी इस आह्वान में समर्थन करने और सुरक्षा-स्वास्थ्य-शिष्टाचार के साथ सहयोग की मांग की है। यह उपलब्धि बताती है कि स्थानीय लोकतांत्रिक संस्थाएं भी इस आंदोलन में अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं और पंजाब-चंडीगढ़ के मुद्दे पर एकजुटता दिखा रही हैं।
शिक्षक संघटन भी मोर्चा के साथ खड़े हैं, जिससे आंदोलन की धार और व्यापक हो सके। पंजाब टीचर्स एसोसिएशन और स्कूल टीचर्स फेडरेशन ने यह स्पष्ट किया है कि वे पूरे पंजाब से शिक्षकों को चंडीगढ़ पहुँचाकर 26 नवंबर के बंद को सफल बनाने के लिए सहयोग करेंगे। शिक्षकों की यह सहभागिता विश्वविद्यालय के शिक्षण-शिक्षिका समुदाय को एक मजबूत समर्थक आधार देती है और विद्यार्थियों के साथ शिक्षक समुदाय की संयुक्त भूमिका इस आंदोलन को और प्रभावशाली बना देगी। इस एक्शन-योग्य समर्थन से स्पष्ट है कि पंजाब-चंडीगढ़ के बीच शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हित भी इस विवाद में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं और सरकार-पार्षदों के लिए इसे हल करने के लिए नई रणनीति चाहिये। अगर भविष्य में सेनेट चुनाव की तिथि तय होती है या मंजूरी मिलती है, तो यह आंदोलन अपने स्वरूप और दिशा में बदलाव ला सकता है—पर अभी के हालात में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ बचाओ मोर्चा की मांगें दृढ़ बनी हुई हैं और उनकी रफ्तार कम नहीं हो रही।
Related: सन्नी एन्क्लेव: कुंडी कनेक्शन से ट्यूबवेल चलाते पकड़े